दोस्तों आज के इस लेख में हम आपके लिए Khamoshi Shayari लेकर आए हैं। अगर कोई हमारा दिल तोड़ देता है या हमें छोड़ कर चला जाता है या फिर प्यार मोहब्बत में किए हुए वादो को तोड़ देता है तो हमारे दिल को चोट पहुंचती है और हम उदास हो जाते हैं हम खामोश हो जाते हैं हमारा कहीं पर भी दिल नहीं लगता ना ही किसी से बात करने का मन करता है हमें अकेले रहना और खामोश रहना हमारी मजबूरी बन जाती है। यह हमारे दिल की खामोशी होती है। जब भी हम खामोश हो जाते हैं तो हम किसी से बात करना तक पसंद नहीं करते हैं हम ना तो किसी से बात करते हैं और ना ही किसी से कुछ बोलते हैं। हम गुमशुदा व चुपचाप रहते हैं। दोस्तों आप भी आजकल खामोश व चुपचाप रहती हैं तो हमारी यह दिल की खामोशी शायरी आपके लिए है।
आपको भी Khamoshi Shayari पसंद है और उनकी अभी आपको जरूरत है। दोस्तों यह खामोशी शायरी आपकी खामोशी को दूर करने में सबसे ज्यादा कारगिर साबित हो सकती है। दोस्तों पढ़िए Khamoshi Shayari और इसे अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाए ताकि आपके व्हाट्सएप स्टेटस को पढ़ने वालों को भी पता चले कि आप आजकल खामोश रहते हैं।
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Contents
Khamoshi Shayari In Hindi
उससे फिर उसका रब फ़रामोश हो गया
जो वक़्त के सवाल पर
ख़ामोश हो गया..!!
जज्बात कहते हैं, खामोशी से बसर हो जाएँ,
दर्द की ज़िद हैं कि दुनिया को खबर हो जाएँ..!!
जब इंसान अंदर से टूट जाता हैं,
तो अक्सर बाहर से खामोश हो जाता हैं..!!
चलो अब जाने भी दो,
क्या करोगे दास्ताँ सुनकर,
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं,
और बयाँ हम से होगा नहीं..!!
एक उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने
तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए…
एक उम्र गुज़ार देंगे
तुम्हें महसूस करते हुए..!!
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है..!!
दिल की धड़कने हमेशा कुछ-न-कुछ कहती हैं,
कोई सुने या न सुने ये ख़ामोश नहीं रहती हैं..!!
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी हैं और शोर भी हैं,
तूने गौर से नहीं देखा, इन आखों में कुछ और भी हैं..!!
इन्हें भी पढ़ें
दिल की खामोशी शायरी
कुछ हादसे इंसान को
इतना खामोश कर देते हैं कि
जरूरी बात कहने को भी
दिल नहीं करता..!!
मुद्दत से बिखरा हूँ
सिमटने मे देर लगेगी
खामोश तन्हाई से निपटने मे देर लगेगी
तेरे खत के हर सफहे को
पढ़ रहा हूँ मै
हर पन्ना पलटने मे यकीनन देर लगेगी..!!
लफ़्जों का वज़न उससे पूछो…
जिसने उठा रखी हो ख़ामोशी लबों पर..!!
राज खोल देते हैं,
नाजुक से इशारे अक्सर,
कितनी ख़ामोश
मोहब्बत की जुबान होती हैं..!!
लोग कहते है कि वो बड़ा सयाना है,
उन्हें क्या पता खामोशी से उसका रिश्ता पुराना है..!!
ख़ामोशी को इख़्तियार कर लेना,
अपने दिल को थोड़ा बेकरार कर लेना,
जिन्दगी का असली दर्द लेना हो तो
बस किसी से बेपनाह प्यार कर लेना..!!
ख़ामोश हो जा ऐ दिल ,यहां अब तेरा काम नही
लब तो कब से ख़ामोश है,लब पे तेरा अब नाम नही..!!
जब कोई बाहर से खामोश होता है,
तो उसके अंदर बहुत ज्यादा शोर होता हैं..!!
तेरी खामोशी शायरी
तुम खामोश हो पर तुम्हारा दिल बोल रहा है,
तुम्हारे खामोश होने का हर राज खोल रहा है..!!
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है..!!
हो रहा हूँ करीब
तुझसे जैसे खीँच रही कोई डोर है,
बाहर तेरे ना होने की खामोशी और भीतर तेरा ही शोर है..!!
रात गम सुम है मगर खामोश नहीं,
कैसे कह दूँ आज फिर होश नहीं,
ऐसे डूबा हूँ तेरी आँखों की गहराई में
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नहीं..!!
चुभता तो बहुत कुछ हैं मुझे भी तीर की तरह,
लेकिन खामोश रहता हूँ तेरी तस्वीर की तरह..!!
कितना बेहतर होता हैं
खामोश हो जाना,
ना कोई कुछ पूछता है,
ना किसी को कुछ बताना पड़ता है..!!
आप जिस चीज़ को कहते हैं कि बेहोशी है
वो दिमाग़ों में ज़रा देर की ख़ामोशी है..!!
कैसे कह दूँ मैं सपनों को जीने की ख़्वाहिश नहीं,
हाँ मैं ख़ामोश रहती हूँ पर मन ही मन बोलती हूँ..!!
जिंदगी खामोशी शायरी
उदास है मेरी ज़िंदगी के सारे लम्हे
एक तेरे खामोश हो जाने से
हो सके तो बात कर ले ना
कभी किसी बहाने से..!!
उसने कुछ कहा भी नहीं और मेरी बात हो गई,
बड़ी अच्छी तरह से उसकी खामोशी से मुलाक़ात हो गई..!!
मेरी खामोशी थी जो सब कुछ सह गयी,
उसकी यादे ही अब इस दिल में रह गयी..!!
मुझे अपने इश्क़ की वफ़ा पर बड़ा नाज था,
जब वो बेवफा निकला, मैं भी खामोश हो गया..!!
ख़ामोश शहर की चीखती रातें,
सब चुप हैं पर, कहने को है हजार बातें..!!
यानी ये खामोशी भी
किसी काम की नही
यानी मैं बयां कर के बताऊं के उदास हूं मैं..!!
तड़प रहे है हम तुमसे एक अल्फाज के लिए,
तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए..!!
ख़ामोशी की तह में
छुपा लीजिए सारी उलझनें,
शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता..!!
खामोशी शायरी 2 लाइन
मैंने अपनी खामोशी से,
कई बार सुकून खरीदा है..!!
वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए..!!
वो है ख़ामोश तो यूँ लगता है,
हम से रब रूठ गया हो जैसे..!!
बातों को कोई न समझे
बेहतर है खामोश हो जाना..!!
उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी
ख़मोशी से गुज़र जाऊँगा मैं भी..!!
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से..!!
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है..!!
बोलने से जब अपने रूठ जाए,
तब खामोशी को अपनी ताकत बनाएं..!!
बेवजह खामोशी शायरी
आंखों में दबी खामोशी को…..
पढ़ नहीं पाओगे तुम…
कि मैंने सलीके से…..
इन पलकों में सब छुपा रखा है..!!
ख़ामोश समझ कर
किसी को हल्के में ना लेना साहब,
राख में फूंक मारने से कई बार
मुंह जल जाया करता है..!!
मेरा चुपचाप रहना यह मेरी खामोशी है
मुझ पर क्या-क्या बीती इस बात की निशानी है..!!
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूं
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की..!!
मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
ख़मोशी भी है ये आवाज़ भी है..!!
उसने कुछ इस तरह से की बेवफाई,
मेरे लबो को खामोशी ही रास आई..!!
कुछ वक्त खामोश होकर भी देख लिया हमने,
फिर मालूम हुआ कि
लोग सच मे भूल जाते हैं..!!
मेरे दिल को अक्सर छू लेते है
ख़ामोश चेहरे,
हंसते हुए चेहरों में मुझे फरेब नज़र आता हैं..!!
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