Best 70+ महापुरुषों के सर्वश्रेष्ठ सुविचार | Mahapurushon Ke Suvichar

दोस्तों हमारी पृथ्वी पर बहुत से महापुरुष हुए जिन्होंने अपने जीवन में बहुत बड़ी सफलता हासिल की। यह महापुरुष भी शुरू में एक आम इंसान थे लेकिन यह अपने ज्ञान के चलते महापुरुष बन गए। और लोग इन्हें महापुरषों के नाम से जानने लगे। इन महापुरषों ने बहुत से अनमोल वचन कहे जिन्हें आज हम सब पढ़ना पसंद करते हैं। अगर आपको भी महापुरुषों के सर्वश्रेष्ठ सुविचार पढ़ना पसंद है तो इस लेख में ~ महात्मा गाँधी जी, अब्दुल कलाम, स्वमाी विवेकानंद, कबीर दास, सरदार पटेल, भगवान महावीर, अमरनाथ भल्ला, लुधियाना, और भी आध्यात्मिक महापुरुषों के विचार पढ़ने को मिलेंगे। दोस्तों इनके विचारों को पढ़ने से ही हमारा जीवन बदल जाता है। जीवन में जब हमें कुछ समझ नहीं आता तब इन महान व्यक्तियों के विचार ही हमारा मार्गदर्शन करते हैं। आइए, आज जानते हैं कुछ महान व्यक्तियों की बातें जो हमारे जीवन में नई ऊर्जा भर देंगी।

महापुरुषों के सर्वश्रेष्ठ सुविचार

किसी को तुम दिल से चाहो
और वो तुम्हारी कदर न करे तो
ये उनकी बदनसीबी है तुम्हारी नहीं।
—अमरनाथ भल्ला, लुधियाना.

भोग में रोग का, उच्च-कुल में पतन का, धन में राजा का, मान में अपमान का, बल में शत्रु का, रूप में बुढ़ापे का और शास्त्र में विवाद का डर है। भय रहित तो केवल वैराग्य ही है। – भगवान महावीर.

हमें हार नहीं माननी चाहिए
और समस्या को हमें हराने की
अनुमति नहीं देनी चाहिए।
– ए पी जे अब्दुल कलाम.

बकरे के जीवन का
मूल्य मनुष्य के जीवन से
कम नही है।
जो जीव जितना अधिक अपग है,
उतना ही उसे मनुष्य की कूरता से
बचने के लिये मनुष्य का
आश्रय पाने का अधिकार है।
– महात्मा गाँधी.

सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक ज़ुल्मों के खिलाफ़ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध। – सरदार पटेल.

गरीबों में अच्छा वक्त आने की
उम्मीद रहती है लेकिन
अमीरों को सदा बुरा वक्त आने का
खौफ रहता है।

शुद्ध न्याय में शुद्ध दया होनी चाहिए,
न्याय का विरोध करने वाली दया,
दया नहीं बल्कि क्रूरता है |
–महात्मा गाँधी.

अपने मन और प्रकृति को
अशुद्धियों से शुद्ध रखने के लिए,
अपने आलोचकों के लिए
अपने पिछवाड़े में
एक झोपड़ी बनाएं
और उन्हें पास रखें।
– कबीर.

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आध्यात्मिक महापुरुषों के विचार

दूसरों के दोष न देखें।
अपना चरित्र सुधारें।
अपना चरित्र पवित्र बनाएं।
संसार अपने आप सुधर जाएगा।
— स्वमाी विवेकानंद.

यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर किनारे पर खड़े रहनेवाले कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। – सरदार पटेल.

अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है, कायरों की नहीं। – जवाहरलाल नेहरू.

दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है। ~ डॉ. रामकुमार वर्मा.

जिस प्रकार बिना जल के धान नहीं उगता उसी प्रकार बिना विनय के प्राप्त की गई विद्या फलदायी नहीं होती। – भगवान महावीर.

सौंदर्य और विलास के आवरण में महत्त्वाकांक्षा उसी प्रकार पोषित होती है जैसे म्यान में तलवार। ~ डॉ. रामकुमार वर्मा.

जो पुस्‍तकें सबसे अधिक सोचने के लिए मजबूर करती हैं, वही तुम्‍हारी सबसे बड़ी सहायक हैं। – जवाहरलाल नेहरू.

प्रकृति अपरिमित ज्ञान का भंडार है, पत्ते-पत्ते में शिक्षापूर्ण पाठ हैं, परंतु उससे लाभ उठाने के लिए अनुभव आवश्यक है। – हरिऔध.

साधु संतों के अनमोल वचन

शुद्ध न्याय में शुद्ध दया होनी चाहिए,
न्याय का विरोध करने वाली दया,
दया नहीं बल्कि क्रूरता है |
—महात्मा गाँधी.

अधिकार खोकर बैठे रहना
यह महादुष्कर्म है |
“मैथलीशरण गुप्त”

संसार में ऐसे लोग थोड़े ही होते हैं,
जो कठोर किंतु हित की
बात कहने वाले होते है
– महर्षि वाल्मीकि.

जब तुम दु:खों का सामना करने से डर जाते हो और रोने लगते हो, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है। लेकिन जब तुम मुस्कराने लगते हो, तो मुसीबतें सिकुड़ जाती हैं। ~ सुधांशु महाराज.

मातृभाषा, मातृ संस्कृति और मातृभूमि ये तीनों सुखकारिणी देवियाँ स्थिर होकर हमारे हृदयासन पर विराजें। – ऋग्वेद.

स्वदेशी उद्योग, शिक्षा, चिकित्सा, ज्ञान, तकनीक, खानपान, भाषा, वेशभूषा एवं स्वाभिमान के बिना विश्व का कोई भी देश महान नहीं बन सकता। – स्वामी रामदेव.

माना जाता है कि मनुष्य जिस संगति में रहता है, उसकी छाप उस पर पड़ती है। उसका निज गुण छुप जाता है और वह संगति का गुण प्राप्त कर लेता है। – एकनाथ.

जिस मनुष्य ने अपने जीवन में शीतल एवं सज्जनरूपी गंगा में स्नान कर लिया, उसको दान, तीर्थ, तप तथा यज्ञ से क्या प्रयोजन? – वाल्मीकि.

विद्वानों के अनमोल वचन

जन्म होने पर बंटने वाली मिठाई से
शुरू हुआ जिंदगी का यह खेल
श्राद्ध की खीर पर आकर खत्म हो जाता है।
यही जीवन की मिठास है
और बड़े दुर्भाग्य की बात है कि
बंदा इन दोनों मौकों पर
ये दोनों चीजें खा नहीं पाता।

कोई भी व्यक्ति अयोग्य नहीं होता केवल उसको उपयुक्त काम में लगाने वाला ही कठिनाई से मिलता है। – शुक्रनीति.

ऐ अमलतास किसी को भी पता न चला तेरे क़द का अंदाज जो आसमान था पर सिर झुका के रहता था, तेज़ धूप में भी मुसकुरा के रहता था। ~ मधूलिका गुप्ता.

पिता की सेवा करना जिस प्रकार कल्याणकारी माना गया है वैसा प्रबल साधन न सत्य है, न दान है और न यज्ञ हैं। – वाल्मीकि.

तैयारी करने में असफल होने से, आप असफल होने की तैयारी कर रहे हैं।
– बेंजामिन फ्रैंकलिन.

आंख से अच्छी तरह देख-भाल कर पैर धरे, कपडे़ से छान कर जल पिए, शास्त्रसम्मत बात कहे और मन को हमेशा पवित्र रखे। आप हमेशा सज्जनता से परिपूर्ण रहेंगे। – चाणक्य.

आशावाद वह विश्वास है जो उपलब्धि की ओर ले जाता है। आशा और आत्मविश्वास के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता है।
– हेलेन केलर.

दूसरा लक्ष्य निर्धारित करने या नया सपना देखने के लिए आप कभी भी बूढ़े नहीं होते हैं।
– लेस ब्राउन.

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